CONSIDERATIONS TO KNOW ABOUT HANUMAN CHALISA

Considerations To Know About hanuman chalisa

Considerations To Know About hanuman chalisa

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श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि।

जपत निरन्तर हनुमत बीरा ॥२५॥ सङ्कट तें हनुमान छुड़ावै ।

jaladhiJaladhiOcean lānghi gaye Lānghi gayeJumped acharajaAcharajaSurprised nāhīNāhīNo Meaning: Keeping the ring of Lord Rama in the mouth, you leapt the ocean to Lanka, there is not any shock in it.

Anjana provides start to Hanuman in the forest cave, soon after currently being banished by her in-guidelines. Her maternal uncle rescues her with the forest; whilst boarding his vimana, Anjana accidentally drops her toddler on a rock. Nevertheless, the infant remains uninjured even though the rock is shattered. The infant is elevated in Hanuruha, Therefore receiving the identify "Hanuman."

व्याख्या – मैं अपने को देही न मानकर देह मान बैठा हूँ, इस कारण बुद्धिहीन हूँ और पाँचों प्रकार के क्लेश (अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष एवं अभिनिवेश) तथा षड्विकारों (काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर) से संतप्त हूँ; अतः आप जैसे सामर्थ्यवान् ‘अतुलितबलधामम्‘ ‘ज्ञानिनामग्रगण्यम्‘ से बल, बुद्धि एवं विद्या की याचना करता हूँ तथा समस्त क्लेशों एवं विकारों से मुक्ति पाना चाहता हूँ।

गोस्वामी तुलसीदास की श्री हनुमान जी से भेंट: सत्य कथा

व्याख्या – श्री हनुमान जी कपिरूप में साक्षात् शिव के अवतार हैं, इसलिये यहाँ इन्हें कपीश कहा गया।

हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥३५॥ सङ्कट कटै मिटै सब पीरा ।

क्या सच में हनुमान चालीसा नहीं पढ़नी चाहिए?

Some time soon after this party, Hanuman begins making use of his supernatural powers on harmless bystanders as uncomplicated pranks, until eventually one day he pranks a meditating sage.

[one hundred forty five] He's depicted as donning a crown on his head and armor. He is depicted as an albino with a strong character, open website mouth, and at times is proven carrying a trident.

सत्संग के द्वारा ही ज्ञान, विवेक एवं शान्ति की प्राप्ति होती है। यहाँ श्री हनुमान जी सत्संग के प्रतीक हैं। अतः श्री हनुमान जी की आराधना से सब कुछ प्राप्त हो सकता है।

श्री हनुमान आरती

कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥४०॥ ॥दोहा॥ पवनतनय सङ्कट हरन मङ्गल मूरति रूप ।

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